मंगलवार, मई 24, 2016

सुखों के पैवंद

अक्सर सुना है
अच्छा नहीं लगता सुख
दुःख के बिना 
क्योंकि एकरसता नीरस होती है 


हर सुनी बात सच्ची हो
ये जरूरी तो नहीं
भले ही वो बात
निचोड़ हो 
दुनिया भर के अनुभवों का

दुखों से तार-तार हुए
ज़िन्दगी के वस्त्रों पर
कब सुंदर लगते हैं
सुख के पैवंद
वे तो बस मुँह चिढ़ाते हैं 
बेनूर ज़िन्दगी का । 

दिलबागसिंह विर्क 

******

बुधवार, मई 18, 2016

वादा

क़समें खाकर 
खून के ख़त लिखकर 
किए गए हों जो वादे 
सिर्फ़ वही वादे नहीं होते 

ख़ामोशी के साथ 
आँखों ही आँखों में 
होते हैं बहुत से वादे 

निभाने वाले 
निभाते हैं अक्सर 
आँखों से किए वायदे 
मुकरने वाले मुकर जाते हैं 
खून के ख़त लिखकर 

अहमियत नहीं रखती 
न कोई क़सम 
न खून की स्याही 
महत्त्वपूर्ण होती है 
दिल की प्रतिबद्धता |

दिलबागसिंह विर्क 
******

बुधवार, मई 11, 2016

कैसे कोई खाली हाथ घर जाए

दुआ करना सदा तुम, दूर तक इसका असर जाए 
इसी से क्या पता बदहाल दुनिया कुछ संवर जाए |

वफाओं के बिना कैसे उगें फसलें मुहब्बत की
दिखे वीरानगी यारो, जहां तक भी नज़र जाए ।

न अंदर की ख़बर है, सब करें बस बात बाहर की

लड़ा हालात से जो, जीत उसको ही मिली हर बार
डराती ही रहे दुनिया उसे, जो शख्स डर जाए ।

बड़ा लम्बा सफ़र है ज़िन्दगी का, कब कटे यूं ही
मुहब्बत की ख़ुमारी चार ही दिन में उतर जाए ।

बड़ी उम्मीद से जब राह तकती हों कई आँखें
बताओ 'विर्क' कैसे कोई खाली हाथ घर जाए ।

दिलबागसिंह विर्क 
******

बुधवार, मई 04, 2016

इश्क़ के मा'ने

फूलों में तुझे हंसते हुए पाता हूँ 
तू दिखता है
परिंदों में उड़ता हुआ

जहन में चलते हैं दिन भर
ख्याल तेरे
रात को तू
डेरा जमाता है ख़्वाबों में

इन दिनों
जर्रा-जर्रा खूबसूरत लगे मुझे
तेरी खुशबू महसूस हो फिजा में

मुझे मालूम नहीं इश्क़ के मा'ने
बस तुझे सोचना अच्छा लगता है ।

******
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...