बुधवार, फ़रवरी 24, 2016

शब्द-बाण

कमान से छूटा तीर 
बेध पाता है 
एक ही छाती 

जुबान से निकले शब्द 
बेध सकते हैं 
अनेक हृदय 

तीर घायल करता है 
बस एक बार 
शब्द चुभते रहते हैं 
उम्र भर 
शब्दों की गूँज 
सुनाई देती है 
रह रहकर 

बेशक 
  अर्थ का अनर्थ संभव है 
सुनने वाले के द्वारा 
मगर सतर्कता ज़रूरी है
शब्द-बाण छोड़ने से पहले 
क्योंकि अनर्थ का धुआँ 
उठेगा तभी 
जब शब्दों की आग होगी । 

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दिलबागसिंह विर्क 
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बुधवार, फ़रवरी 10, 2016

रिश्तों की फ़सल

बड़े नाज़ुक होते हैं 
रिश्ते-नाते
जरूरी होता है 
संभालना इनको 
आंगन में उगे 
छुई-मुई के पौधे की तरह 

डालनी पडती है 
विश्वास की खाद
पैदा करना होता है 
समर्पण से भरा 
अनुकूल वातावरण 

बचाना होता है 
शक के तुषारापात से 
दूर रखना होता है 
अहम् जन्य  
बेमौसमी तत्वों को 

रिश्तों की फ़सल
यूँ ही नहीं लहलहाती 
तप करना पड़ता है 
किसान की तरह |

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दिलबागसिंह विर्क
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बुधवार, फ़रवरी 03, 2016

पतंग के माध्यम से

बहुत विस्तृत है आसमान 
उड़ सकती हैं सबकी पतंगें 
साथ-साथ 

पतंग सिर्फ़ उड़ानी नहीं होती 
पतंग लूटनी भी होती है 
मज़ा ही नहीं आता 
केवल पतंग उड़ाने में 
असली मज़ा तो है 
दूसरों की पतंग लूटने में 

वैसे बचती नहीं 
किसी की भी पतंग 
किसी की हम लूट लेते हैं 
कोई हमारी लूट लेता है 

दुःख तो होता है 
अपनी पतंग लुटने का 
मगर ये दुःख बौना है 
उस ख़ुशी के सामने 
जो मिलती है 
दूसरों की पतंग लूटने पर 

अपनी पतंग रहे न रहे 
दूसरों की नहीं रहनी चाहिए 
बड़ों की जीवन शैली 
सीख लेते हैं बच्चे 
पतंग के माध्यम से 
बचपन में ही |

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दिलबागसिंह विर्क 
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