बुधवार, नवंबर 27, 2013

मुकद्दर है सफर करना

                 
        न चाहा बेवफा की याद में यूँ आँख तर करना
        करे मजबूर दिल इतना कि पड़ता है मगर करना ।

        मुहब्बत चीज कैसी है, न जीने दे, न मरने दे

        सकूँ छीने, करे बेबस, इसे कहते असर करना ।

        पुरानी बात छोड़ो, कुछ नया चाहे सदा दुनिया

        रहे ताउम्र सबको याद, कुछ ऐसा नजर करना

        यही सच है, यहाँ घर पत्थरों के, लोग भी पत्थर

        हमारा फर्ज है, हालात कुछ तो बेहतर करना ।

        किनारे की तमन्ना कश्तियों को किसलिए होगी

        इधर से वे उधर जाती , मुकद्दर है सफर करना

        बड़े गहरे दबे हैं ' विर्क ', झूठी जिन्दगी के सच

        तुझे मालूम हो जाएँ अगर, सबको खबर करना ।

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मंगलवार, नवंबर 19, 2013

आँख को अश्क मंजूर है

पा रहा दिल यहाँ साथ भरपूर है
प्यार में आँख को अश्क मंजूर है ।

दूरियाँ और नजदीकियाँ झूठ सब
पास पाऊँ तुझे, तू भले दूर है ।

इश्क़ में डूबकर जान पाया यही
हर तरफ छा रहा एक ही नूर है ।

सीरतें सूरतों से सदा बेहतर
हुस्न यूँ ही नशे में हुआ चूर है ।

रात-दिन काम के फिक्र में घूमता
आदमी तो महज एक मजदूर है ।

थूकता था जमाना जिसे देखकर
देख लो शख्स वो आज मशहूर है ।

हाथ से हाथ पर्दा रखे है यहाँ
ये नए दौर का ' विर्क ' दस्तूर है ।

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बुधवार, नवंबर 13, 2013

तुझे सोचता है जहन रात - दिन

परिन्दे उजाड़ें चमन रात-दिन
सुलगता रहे दिल, जलन रात-दिन ।

मिरे देश की है सियासत बुरी
यहाँ बिक रहे हैं कफन रात-दिन ।

पुरानी हुई बात तहजीब की
बदलने लगा है चलन रात-दिन ।

रहा रोग अब सिर्फ दिल तक नहीं
तुझे सोचता है जहन रात - दिन ।

बँधा था सदा फर्ज की डोर से
किया ख्वाहिशों का दमन रात-दिन ।

निराशा मिली ' विर्क ' औलाद से
परेशान रहता वतन रात-दिन ।
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शनिवार, नवंबर 02, 2013

बने दिवाली

प्रयास करो
दीप से दीप जले
बने दिवाली
रोशनी से नहाए
हर घर आँगन ।

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