गुरुवार, अक्तूबर 17, 2013

आँख रोए कभी दिल जले

प्यार की राह पर जब चले
आँख रोए कभी दिल जले ।

दिन उगे, शाम या फिर ढले ।

गलतियाँ कुछ तेरी, कुछ मेरी
रात-दिन फिर बढ़े फासिले ।

आदमी एक से ही मिले ।

नोचते लोग कलियाँ जहाँ
फूल कोई वहाँ कब खिले ।

' विर्क ' दरपेश हैं मरहले ।

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